चोटी की पकड़–82

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खजांची अभी नहीं आया। आएगा, कुछ ठहरकर चलेगी, राह पर मिलेगी। पूछना और काम लेना है।  छिपी भी है, देखती भी है। यहाँ से सिंहद्वार और वह रास्ता नहीं देख पड़ता। ...

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